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आगामी 8 मार्च को राष्ट्रीय लोक अदालत: न्यायिक अधिकारियों ने तैयारियों को लेकर की बैठक

शामली, कैराना। उत्तर प्रदेश के शामली जनपद में 8 मार्च 2024 को आयोजित होने वाली राष्ट्रीय लोक अदालत को सफल बनाने के लिए न्यायिक प्रशासन ने तैयारियों को गति दे दी है। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के अध्यक्ष व जिला न्यायाधीश श्री विकास कुमार की अध्यक्षता में सोमवार दोपहर 1:30 बजे माननीय ज़िला न्यायाधीश विश्राम कक्ष में एक महत्वपूर्ण बैठक हुई, जिसमें जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की प्रभारी सचिव श्रीमती आंचल कसाना, मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट श्री प्रशांत कुमार सहित सभी विभागों के सभी संबंधित विभागों के अधिकारियों ने “सुलह-समझौते के माध्यम से अधिकतम मामलों के निपटारे” की रणनीति पर मंथन किया।

उद्देश्य: लोक अदालत में पंजीकृत मामलों का त्वरित और सहमतिपूर्ण निस्तारण।

जनपद के 14 से अधिक विभागों के प्रतिनिधि, जिनमें परिवहन, श्रम, स्वास्थ्य, पंचायती राज, खाद्य सुरक्षा और दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग बेसिक शिक्षा विभाग आदि शामिल थे, बैठक में विवादों को कोर्ट के बाहर सुलझाने के लिए पक्षकारों को मध्यस्थता हेतु प्रेरित करने पर जोर दिया गया।

माननीय जिला न्यायाधीश का आह्वान

माननीय न्यायाधीश श्री विकास कुमार ने कहा, “लोक अदालत न्याय प्रणाली का वह स्तंभ है जो आम नागरिक को लंबी कानूनी प्रक्रिया के बोझ से मुक्ति दिलाती है। हमें इस सत्र को ऐतिहासिक बनाने के लिए सामूहिक प्रयास करने होंगे।” उन्होंने सभी विभागों से सहयोगात्मक दृष्टिकोण अपनाते हुए समझौता योग्य मामलों की पूर्व सूची तैयार करने का निर्देश दिया।

किन मामलों को मिलेगी प्राथमिकता?

दीवानी और राजस्व संबंधी विवाद।

परिवहन विभाग से जुड़े जुर्माना या लंबित केस।

लोकयाचिकाएं और सार्वजनिक हित के मुद्दे।

पारिवारिक विवाद जहां मध्यस्थता संभव हो।

लोक अदालत: त्वरित न्याय का माध्यम

भारत की इस अनूठी व्यवस्था में विवादों का निपटारा पारस्परिक सहमति से किया जाता है, जिससे न्यायालयों का बोझ कम होता है और लोगों को मुफ्त व त्वरित न्याय मिलता है। शामली प्रशासन का लक्ष्य है कि इस बार रिकॉर्ड संख्या में मामले निपटाए जाएं और लोक अदालत की सार्थकता सिद्ध हो।

आगे की राह

सभी विभागों ने 8 मार्च से पहले अपने-अपने स्तर पर जागरूकता अभियान चलाने और पक्षकारों को समझौते के लिए प्रेरित करने का संकल्प लिया है। न्यायिक अधिकारियों का मानना है कि यह पहल न केवल न्यायिक प्रक्रिया को गति देगी, बल्कि आमजन का विश्वास भी बढ़ाएगी।

 

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